अंडे आज भारत में सबसे ज्यादा उपयोग में लिए जाने वाले खाद्य पदार्थो मैं से एक है। आज भी चाहे बात बॉडी बनाने की हो या हाई लेवल ऑफ़ प्रोटीन पाने की अंडे लोगो की प्रथम पंसद होते है। उनसे बनने वाले व्यंजन आज भारत में चारो तरफ बहुत ही मशहूर है। आज हम बात करने वाले है अंडो के दामों (Egg rates) में आने वाले उतार चढ़ाव और उनके कारणो के बारेमेँ। आपने भी कभी गौर किया होगा और सोचा होगा के अंडो के दामों में दिन प्रतिदिन उतार-चढाव देखने को मिलता है तो फिर इसका कारण क्या है? अंडो के दामों में आने वाले उतार-छड़ाव और उनके मुख्य कारणों के बारे में आज हम विस्तार से समझेगे।
प्रथम हम बात करते है अंडो के दामों (Egg Prices) में आने वाले उतार-चढ़ाव से जुड़े कुछ ऐसो अफ़वादो की जो हमने भी सुने होंगे पर यह सारे अफ़वाद सरासर कुछ सुनी सुनाई बातो के अलावा विशेष कुछ भी नहीं है।
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मांग और आपूर्ति: (Demand and Supply)
आपने अक्सर सुना होगा की अंडो के दामों (Egg Rates) में आने वाले उतार-चढ़ाव (Demand and Supply) यानि की मांग और आपूर्ति के कारण होता है, पर यह कथन एक मिथ के अतरिक्त कुछ भी नहीं। ऐसी बातें करने वाले लोगों को ना हीं अंडो की मांग के आंकड़े और ना हीं आपूर्ति के आंकड़ों की जानकारी और समज होती है।
Demand and Supply को अंडो के दरों में हो रहे उतार-चढाव का मुख्य कारण बताना तब ही सही होगा जब हमारे पास दिन-प्रतिदिन के अंडो की उत्पादन और खपत (Production and Consumption) का बिलकुल सही डाटा मौजूद हो। सही डाटा के बगैर Demand and supply को अंडो के दामों (Cost of eggs) में हो रहे उतार-चढ़ाव का मुख्य कारण बताना बस मूर्खता होगी।
ऐसी ही अंडो के दामों के उतार चढ़ाव से जुडी और एक गलत मान्यता है की अंडो की डिमांड बढ़ाने के लिए अंडो के दामों (Cost of Eggs) को बहुत कम कर दिया गया है। यह मिथ को गलत साबित करने के लिए सर्वप्रथम हमें यह समझने की आवशक्ता है के अंडो की बढ़ती या घटती मांग अंडो के दामों को प्रभावित नहीं करती।
उदहारण के तोर पर जब हम देखते है के फार्म डे रेट कितना है और अंडो के होलसेल का दाम (Egg Wholesale Rate) क्या है। तब हम जानेंगे की फार्म रेट, होलसेल और हमारे पास अंडे जिस रिटेल स्टोर से पहुंचते है उन में कोई बड़ी गिरावट या बढ़ोतरी मालूम नहीं पड़ती। तो अंडो के दामों को घटा कर अंडो की डिमांड बढ़ाई जा रही है यह कहना बिलकुल भी सही नही होगा।
अंडे के दामों (Egg Prices) से जुड़ी गलत जानकारी:
तो चलिए अब इस बात पर प्रकाश डालते है की कौन आखिरकार अंडो के दिन-प्रतिदिन के दामों (Daily Egg Prices) को निर्धारित करता है। जैसा की हर चीज़ वस्तुओ के मार्किट को सही तोर से चलाने के लिए सरकार द्वारा अलग अलग कमिटि यानि की असोसिअशन का निर्माण किया जाता हैं।
ऐसे ही अंडो के मार्किट का सही संचालन करने के लिए जो बोर्ड कार्यरत है उसका नाम है NCCC (National Egg Coordination Committee) कमिटी के पास भी रोज उत्पादित हो रहे अंडो का या अंडो की बिक्री से जुड़ा कोई स्पष्ट डाटा या कहु की आंकड़े मौजूद नहीं होते हैं। वे बस अपने अनुभव और मार्किट की स्थिति को ध्यान में रखकर सही दामों का चयन करते है।
बोर्ड के द्वारा चयन किए गए दामों पर ही मार्केट में अंडो की बिक्री होती है। कभी कबार कमिटी द्वारा निर्धारित किए गए दामों से मार्किट के दाम थोड़े बहुत कम ज़ादा हो सकते है।
अंडे का दाम (Egg Rates) जानने के लिए हो रहा व्हाट्सप्प ग्रुप (Whatsapp Group) का उपयोग:
अब सवाल आता है की कमिटी द्वारा निर्धारित किए गए दामों को छोटे से छोटे फार्मर और रिटेलर के पास कैसे पोह्चाया जाता है? तो आज के आधुनिक समय को देख यहाँ व्हाट्सअप का उपयोग होता है। कमिटी के सदस्य नियमित रूप से निर्धारित किए गए मूल्यों को व्हाट्सएप मैसेज द्वारा ग्रुप्स में भेज देता है और वह मेसेज एक से दूसरे और दूसरे से तीसरे व्हाट्सएप ग्रुप ऐसे कर अंडो के व्यापर से जुड़े लोगो यानि पॉल्ट्रीफार्मर, होलसेलर, रिटेलर तक पहुंचते है।
क्या व्हाट्सप्प पे भेजे गए दाम सही होते है?
यही से शुरू होती है सबसे बड़ी समस्या। व्हाट्सएप में भेजे गए मेसेज के साथ कोई भी बड़ी आसानी से छेड़खानी कर सकता है और आँकड़ों को भी बदल सकता है। ज्यादा तर ऐसी ही परेशानीओ के कारण पाया गया हैं की अंडा हर बार अपने निर्धारित किए गए मूल्य से कम मैं ही बिका हैं।
यह मैसेज पॉल्ट्रीफार्मर, होलसेलर्स और रिटेलर्स के पास जानकारी से ज्यादा गलत जानकारी पहुंचाते है। जिनके कारण ही कई छोटे बड़े पॉल्ट्रीफार्मेर, होलसेलर्स, रिटेलर्स और यहाँ तक की मेरे और आप जैसे सामान्य नागरिको को भी नुकशान का सामना करना पड़ सकता है।
जैसे की हमने कहा की अंडों के दाम (Cost of Eggs) बड़े है असंचरित तरीको से निकलते है और इनके कारण आने वाली परेशानिओं की जानकारी होने के बावजूद भी यही एक जैसी तकनीक हमेशा उपयोग की जाती हैं। जिससे अंडो के मूल्य अस्थिर रहते हैं और प्रतिदिन अंडो के दामों (Egg Daily Rate) में उतार चढ़ाव मालूम पड़ता हैं।
इस समस्या से निजात पाने के लिए प्रथम सब अंडो के वयवसाई से जुड़े लोग यहाँ तक की छोटे से छोटे पॉल्ट्रीफार्मेर, होलसेलर और रिटेलर को सरकार के खिलाफ एक जुट हो कर अपनी अवाज़ उठानी होगी। सरकार को याद दिलाना होगा की पोल्ट्रीफार्म का व्यवसाई भी हमारी देश की GDP में एक मुख्य भूमिका अदा करता हैं।
आज भारतीय अंडो की मार्किट लगभग 26,600 करोड़ रुपए की हैं। तब ही सरकार का ध्यान इन मुद्दों पर जाएगा और वह कुछ कदम उठाएगी जिस से हम हो रहे नुकशान को और हम तक पहुंच रही गलत जानकारी के राक्षश को हरा सकेगे। गलत जानकारी की समस्या का हल लाने के लिए कमिटी को यह चयन किए गए मूल्य किसी सॉफरवार या ऐसे किसी चार्ट्स में लोगो के सामने मार्केट में लाने चाहिए जो बदला न जा सके।
जिसे की कोई छेड़छाड़ कर, लोगो को गुमराह न कर सकेगा। इस के अतरिक्त अंडो के व्यवसाई से जुड़े लोगो को भी आंखे बंद करके व्हाट्सएप पाठशाला के मैसेजो पर भरोसा नहीं करना चाहिए और छानबीन कर सही मूल्यों का पता लगाना चाहिए।
जमाखोरी एक दूषण:
अब आगे बात करे तो जब किसी व्यक्ति के पास अपनी उत्पादन और खपत के सही सही आंकड़े होते है तब वह बड़ी आसानी से मार्केट की Demand and supply को समज पाता हैं। फिर कुछ लोग जो दुनिया और हमारी नज़रो के लिए बिलकुल अपरिचित है, जिन्हे ना आप और हम कही देखते हैं ना कभी उनका ज़िक्र सुनते हैं।
यह कुछ गुमनाम लोग जो पुरे मार्केट को अपनी पसंद के मुताबिक ऊपर ले जाने की या गिराने की समता रखते हैं। नहीं दोस्तों यह किसी प्रकार के ट्रेडर नहीं है। यह लोग को हमारी अर्थव्यवस्था यानि की इकोनॉमी का वह दूषण है जो पुरे मार्केट को ख़राब करता हैं।
ऐसे लोग बड़ी मात्रा में अंडो के जथ्थे को सरकार की नज़रो से छुपा कर किसी गोदाम या अन्य किसी जगह पर स्टोर करते है और फिर जब मार्केट में सर्दियों में या किसी अन्य कारण सर अंडो की डिमांड बहुत ही ज्यादा बढ़ जाती है। तब यह लोग अपने सस्ते दामों के संग्रह किए गए अंडो के जथ्थे को मार्केट में लाते है और मार्किट से कम दाम में बेच कर बहुत अच्छा मुनाफा कमाते है।
पर इसी कारणवश मार्किट में पुराने विक्रेताओ को मार्केट में नए आए संग्रहखोरो के अंडो जितना ही दाम लगाना पड़ता हैं और ईमानदारी के साथ बाजार की ऊँची क़ीमत पर भी ख़रीदे गए अंडे अब अपने दामों से कम दामों में मार्केट में बिकते हैं।
जमाखोरों ऐसे अंडो से कमाई करते है:
उदाहरण द्वारा हम समजे तो ऐसे अंडो के संग्रहण करने वाले लोग बड़े ज्यादा पैमाने पर जब अंडो का स्टोरेज करते है तब मार्केट में अंडो की खामी के कारण डिमांड ऊपर जाती है। डिमांड बढ़ने के साथ अंडो का मूल्य (Cost of Eggs) भी बढ़ता है और अंडे अब अपने दाम से ऊंची किंमत पर बिकने लगते है ऐसे हमारी और आपकी तरह एक आम नागरिक को नुकशान भुगतना पड़ता हैं।
साथ ही दूसरे विक्रेताओ को अब मार्केट से ऊँचे दामों पर अंडे खरीदने पड़ते है। फिर कुछ समय के बाद ही जमाखोर एक साथ बहुत सारे अंडे मार्केट से थोड़े कम दामों में मार्केट में उतार ते हैं जिस से फिर एक बार अंडो का दाम नीच आने लगता हैं। इन सब के बिच जिन विक्रेताओ ने अंडे मार्केट के दाम से बेचने के लिए ख़रीदे होते हैं। वे अब अपना मुनाफा नहीं बना पाते और नुकशान उठाकर उन्हें सस्ते दामों में अंडे बेचने पड़ते है।
इस तरह से भी प्रतिदिन अंडो के भावो (Daily Egg Rate) में अस्थिरता आती हैं। साथ ही अंडो की बाज़ार से जुड़े लोग यानि पॉल्ट्रीफार्मेंर्स, होलसेलर्स और रिटेलर्स को भी बड़ा नुकशान होता हैं और एक मार्केट की व्यव्हार श्रृंखला का विनाश होता हैं। ऐसे संग्रहखोर हमारी अर्थव्यवस्था (Economy) के वह दीमक हैं जो धीरे-धीरे कर पुरे मार्केट को खा जाते हैं और अंदर से खोखला कर देते हैं।
इन्ही शॉर्ट सेलिंग के कारण कई बार छोटे रिटेलर, होलसेलर और पोर्टीफार्मेंर्स दिवालिया हो जाते हैं। कभी कबार तो यह नुकशान उनके लिए फांसी का फंदा बन जाता हैं और खुदखुशी करने तक की नौबत आ जाती हैं। संग्रहणखोरी के कारण ही अंडो के मार्केट में दामों में उतार चढ़ाव यानि की अस्थिरता आती है और दाम बार बार कम ज्यादा होता है।
इसी वजह से भी अंडे के दाम (Egg Rates) में उतार चढाव आता है:
कई बार देखा गया है की होलसेलर्स छोटे पॉल्ट्रीफार्मर्स से अंडे मार्किट दाम से भी सस्ते में मांगते हैं, जो अगर छोटा पॉल्ट्रीफार्मेर अपने अंडे सस्ते भावो में बेचने से होलसेलर्स को मना भी करे तो होलसेलर्स अपना ग्रुप बनाकर उस पॉल्ट्रीफार्मर से अंडे लेने के लिए सबको मना कर देते हैं। जिससे उस छोटे पॉल्ट्रीफार्मेर के अंडे बिकते नहीं और उसके पास अब अंडो के बड़ा स्टॉक हो जाता हैं।
आखिर में थक हार कर या तो पॉल्ट्रीफार्मर को अपने अंडे होलसेलर्स को सस्ते दामों में देने पड़ते हैं या अपनी मुर्ग़िया बेच पोल्ट्रीफार्म हमेशा के लिया बंध करना पड़ता हैं। इस तरह एक गरीब और छोटे फार्मर का होलसेलर्स द्वारा शोषण होता हैं। यह भी अंडो के दामों (Egg Rates) में आने वाले उतार चढाव का एक मुख्य कारक हैं।
चाहे जमाख़ोरी हो या शोषण, छोटे पॉल्ट्रीफार्मर के लिए यह किसी कैंसर से कम नहीं। अगर अंडे की जमाखोरी में हुए नुकसान को भी छोटे पॉल्ट्रीफार्मर्स सह जाएंगे पर आखिर में शोषण जानलेवा बन छोटे पॉल्ट्रीफार्मर्स की खुशियाँ खा ही जाएगा।
आज कल बढ़ रही जमाख़ोरी और छोटे पॉल्ट्रीफार्मर्स का हो रहा शोषण को देख यह कहना बिलकुल भी गलत नहीं होगा की इन वजहों से या तो छोटे फार्मर्स अपनी मुर्ग़ियों के दाने और रहने में किए गए खर्चो का सही सही मुनाफ़ा नहीं मिलेगा और अपेक्षा के अनुसार मूल्य ना मिलने के कारण पॉल्ट्रीफार्मेर कर्ज़दार हो जाएंगे या तो उन्हें अपना पोल्ट्रीफार्म बंध करना होगा। इसके परिणाम स्वरुप होगा यह की अंडो के मूल्य (Egg Prices) या तो बहुत कम हो जायेगे या बहुत बढ़ जाएंगे।
ऐसे पॉल्ट्रीफार्मेंर्स पर पड़ने वाली सारी वस्तुएँ यानि नुकशान और मुनाफा दोनों का सीधा असर अंडो के दामों (Egg Rates) में पड़ता हैं और दामों में उतार चढ़ाव आता हैं।
मौसम का अंडे के दामों (Egg Prices) के उतार चढ़ाव से जुड़ाव:
इस के उपर्युक्त कुछ ओर कारणो की हम बात करे तो मौसम भी अंडो के दामों (Egg Prices) में आने वाले उतार चढाव का एक मुख्य जिम्मेदार हैं। जैसा की आप और हम यह बात अच्छे से जानते हैं की सर्दियाँ आने के साथ ही अंडो के दामों (Egg Prices) में तेजी से उछाल आता हैं। कुछ रिपोर्ट्स की माने तो सर्दियाँ आने के साथ ही प्रतिदिन 60 लाख अंडो की डिमांड और बढ़ जाती हैं और मार्किट में अंडो की मांग ज्यादा होने से दाम भी अपने आप ही ऊपर की और जाते हैं। इस तरह भी अंडो के दामों (Cost of Eggs) अस्थिरता देखी जाती हैं।
गर्मी की मौसम में गिरते है अंडे के दाम (Egg Rates):
अब हम सब जानते हैं की गर्मियाँ आने के साथ ही घरो में अंडे से जुड़े व्यंजन (Egg Recipes) बनना कम हो जाते हैं। यह पुरे मार्केट पर असर करता हैं। लोगों में घटती हुई अंडो की डिमांड अंडे के दामों (Egg Rate) के गिरने का संकेत हैं। फिर पूरी गर्मियों की सीजन अंडो के दामों (Egg Prices) में थोड़ी थोड़ी कटौती दर्ज की गई हैं। कुछ त्यौहार को छोड़ अंडो की मांग कम होने के कारण गर्मियों में अंडो के दाम रोजबरोज थोड़े थोड़े कम होते जाते हैं। गर्मिया भी अंडो के दामों में आने वाले उतार चढ़ाव की एक मुख्य कारिका हैं।
बारिश की मौसम भी अंडे के दाम (Cost of Eggs) में गिरावट की वजह है:
गर्मियों के बाद आती हैं बारिशें और फिर एक बार वातावरण में ठंडी का प्रमाण बढ़ जाता हैं और इसी के साथ फिर से अंडो की डिमांड ऊपर और ऊपर जाने लगती है। डिमांड बढ़ने से अंडो के मूल्य (Egg Rates) भी बढ़ेंगे यह तो सीधी सी बात हैं। बारिशों में एक और ऐसा कारण हैं जो अंडो के दामों (Egg Prices) को बढ़ाने के लिए एक अहम किरदार निभाता हैं वह हैं परिवहन।
कई बार बारिशों के कारण रास्ते बंध हो जाते हैं। कई बार तो तेज़ बारिश में घर से निकलना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसी परिस्थितिओ में अंडो को छोटी छोटी दुकानों पर पहुँचाना एक बड़ी समस्या है, जिस के कारण छोटे छोटे होलसेलर्स और रिटेलर्स के पास अंडे नहीं पहुँचते।
अंडो की मांग ज्यादा होने के कारण ऐसे होलसेलर्स और रिटेलर्स अंडो को ऊँचे दामों में बेचते हैं और अगर जो इस बीच अंडो की प्रयाप्त मात्रा में सप्लाय मिल जाती हैं तो फिर दाम नीचे आ जाते हैं। ऐसे बारिश भी अंडो के दामों (Egg Rates) में आ रहे उतार चढाव में जिम्मेदार हैं।
ठंडी की मौसम में अंडे के दाम (Egg Rates) में होती है बढ़ोती:
जैसा की हम ने बात की सर्दियाँ आते ही अंडो की डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ जाती हैं और दामों में भी बड़ा उछाल आता हैं। इसका ओर एक कारण यह है की सर्दियों में हो रही डिमांड के मुताबिक मार्किट में पर्याप्त मात्रा में अंडो की सप्लाई नहीं पहुँचती।
पॉल्ट्रीफार्मर्स जानते है की वह अपनी मुर्गियों की संख्या ओर नहीं बढ़ा सकते, क्योंकि फिर जब गर्मियों में अंडो की डिमांड बहुत ज्यादा कम हो जाएगी तब उन्हें अपनी मुर्ग़ियों के दाने और स्वास्थ्य के बारे में भी चिंता करनी होगी।
ठंडी में तो अंडे अच्छे दामों में बिक जाएंगे पर गर्मिया आते आते गर्मियों में अंडो के दाम (Egg Rate) बहुत कम हो जायेंगे और अंडो की डिमांड भी ठंडी के मुकाबले बहुत ही कम हो जाएगी।
इस बीच वह मुर्ग़ियों की संख्या में इज़ाफ़ा कर के कोई खतरा लेना पसंद नहीं करेंगे और मार्किट में ठंडी में डिमांड भले ही बढ़ गई हो पर सप्लाई के दर में बस महज कुछ प्रतिसद ही इज़ाफ़ा होता हैं। जो अंडो के दामों (Cost of Eggs) में आ रहे उतार चढ़ाव के कुछ मुख्य कारणो में से एक हैं।
पोल्ट्री रोग:
अस्थिर अंडो के दामों (Egg Prices) के ओर कुछ कारणो की अगर जो हम बात करे तो अक्सर पोल्ट्रीफार्म में मुर्ग़ियों से जुड़े कुछ रोग आते है। रानीखेत, फॉक्स पॉक्स, बोटुलिज़्म और फाउल कॉलरा कुछ मुर्ग़ियों में होने वाले रोगो के मुख्य उदहारण हैं। ऐसे ही रोगो के कारण पोल्ट्रीफार्म की एक मुर्गी से लेकर धीरे धीरे पुरे फार्म में बीमारी फेल जाती हैं।
अगर सही समय पर कोई इलाज न हुआ तो धीरे धीरे बीमारी एक पोल्ट्रीफार्म से लेकर दूसरे पोल्ट्रीफार्म में और वहाँ से धीरे धीरे कर पुरे गांव, शहर यहाँ तक की पुरे राज्य और देश तक फ़ैल सकती हैं। जिससे होगा यह की बीमारी के कारण मुर्ग़ियों की तादात कम होती जाएगी साथ ही अंडो की उद्पादिता में घटोतरी आएगी।
मार्किट के डिमांड से अब सप्लाई मिलना कम हो जायेगा और अंडो के दाम बहुत ही ज्यादा तेजी से ऊपर जाने लगेगे। इस के अलावा यह भी हो सकता है की लोग मुर्ग़ियों में फैली बीमारी के बारे में जान कर अंडे खाना ही बंध कर दे। तो फिर इस तरह अंडो के मूल्य (Egg Price) बड़ी तेज़ी के साथ गिरेगे। इन उदाहरणों पर से हम यह कह सकते हैं के पोल्ट्रिरोग भी अंडो के दामे में होने वाले उतार चढ़ाव का एक मुख्य कारक हैं।
कुदरती विपदा:
कुछ कुदरती आपदा भी अंडो के दामों (Egg Prices) मैं आने वाले उतार चढ़ाव का कारन हो सकती हैं। जैसा की हम उदहारण के तौर पर समजे तो आज भारत में सबसे ज्यादा अंडे आंध्रप्रदेश से आते हैं। अगर आँध्रप्रदेश में कोई कुदरती विपदा आती हैं तो अंडो की सप्लाई मिलना कम या तो बंध ही हो जाएगी और उसका सीधा असर आज के अंडो के दामों (Egg Rates) पर होगा। जिस से अंडो के दाम अस्थिर रहेगे और डिमांड के बराबर सप्लाई न होने की वहज से अनियंत्रित तरीको से बढेगे।
उम्मीद करता हूँ की अंडे के दाम (Egg Rate) में कैसे उतर चढाव आता है उससे रिलेटेड माहिती आपको अच्छी लगी होगी. आप अंडे के व्यवसाय से जुड़े हुए हो और अगर आप नियमित रूप से अंडे का बाजार में चल रहे वास्तविक दाम के बारे में नियमित जानकारी पाना चाहते हो तो NECC Egg Rate Today साइट आपकी हेल्प कर सकती है. यह एक भरोसेमंद साइट है जहाँ पर आप अंडे से जुडी लेटेस्ट जानकारी भी पा सकते हो.
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